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वो चाय

बबीता प्रजापति ‘वाणी’
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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स्कूल जाने से पहले,
वो पारले-जी वाली चाय
हाँ मुझे याद है,
पिताजी की आफिस से
वापसी वाली चाय।
फिर शाम को ४ बजे की,
परिवार के साथ वाली चाय
मुझे याद है वो,
मेहमानों के घर आने वाली चाय।
फिर तुमसे मुलाकात वाली चाय,
साथ बैठकर हुई बात वाली चाय
आफिस से थक हार के आकर,
वो खिड़की पर बैठकर पीने वाली चाय।
अब तो पीते हैं बस,
ज़िंदगी जीने वाली चाय॥