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आओ अब गिरधारी

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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जन्माष्टमी विशेष………..

त्राहि-त्राहि है धरती पर सुन लो अर्ज हमारी,
पुनः बुलाती भारत माता आओ अब गिरधारी।

भूखे औ लाचार दिलों में धधक रही है ज्वाला,
कहीं भूख से रोता बचपन कहीं हाथ में प्याला।
इंकलाब की बाट जोहता झोंपड़ियों में नारा,
संसद तक भी आ पहुँचे हैं देखो भ्रष्टाचारी।
पुनः बुलाती भारत माता आओ अब गिरधारी…

आजादी औ पराधीनता खोयीं अंतर अपना,
स्वर्णों के बच्चों को मानो नौकरियां हैं सपना।
हमें राह दिखलाने वाले खुद ही रस्ता भूले,
आना मजबूरी है भगवन समझो अब लाचारी।
पुनः बुलाती भारत माता आओ अब गिरधारी…

होगा जब आह्वान आपका तनिक करें ना देरी,
आतंकों के साये सर पे गूँज रही रण भेरी।
गांधी के चेले चिंतित हैं संसद में कोलाहल,
जाति देख कर बांट रहे हैं नौकरियां सरकारी।
पुनः बुलाती भारत माता आओ अब गिरधारी…

वक्त तभी करवट लेगा जब प्रभु आप चाहोगे,
कौरव दल से महासमर को आप जीत जाओगे।
‘हलधर’ आग मजहबी फैली भाषा हुई विषैली,
भूख गरीबी आतंकों से लड़ने की तैयारी।
पुनः बुलाती भारत माता आओ अब गिरधारी…॥