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माँ शैलसुता

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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नवरात्र विशेष……

खिले हुए हैं तरु पल्लव सब छायी आज बहार है।
पावन दिवस आज है आया घर-घर मँगलाचार है॥

नव किरणें फूटी अंबर में दूर हुआ अँधियारा,
घर-घर वंदनवार बँधी है खूब सजा हर द्वारा।
चौक पुराओ,मंगल गाओ नवरात्रि त्योहार है,
पावन दिवस आज…॥

आज पधारी शैल सुता जब सुनी विनय भक्तों की,
होंगी सब इच्छायें पूरी हर दुखियारे मन की।
झोली भरने आयी माता होकर सिंह सवार है,
पावन दिवस आज…॥

चंदन चौकी पर बैठा कर मंगल कलश सजायें,
स्वर्ण तार से बनी चुनरिया माँ के शीश उढ़ायें।
खूब बजायें शंख-नगाड़े माता का दरबार है,
पावन दिवस आज…॥

रोली मोली ध्वजा नारियल माँ की भेंट चढ़ायें,
धूप दीप नैवेद्य चढ़ा सब भजन आरती गायें।
सुन्दर मुकुट शीश माता के गले नौलखा हार है,
पावन दिवस आज…॥

पुष्प चढ़ायें शीश नवायें मन की व्यथा सुनायें,
दयामयी माँ से झोली भर-भर आशीषें पायें।
सब कष्टों को दूर करो माँ करते भक्त पुकार हैं,
पावन दिवस आज…॥

माँ दुर्गा का नौ रूपों में नौ दिन जश्न मनाते,
विधिवत करते पूजा माँ की हृदय कमल खिल जाते।
महाकाली बनकर करती माँ दुष्टों का संहार है,
पावन दिवस आज है आया घर-घर मंगलाचार है॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है