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तब होगी सच्ची दीवाली

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष ……

जब हर घर दीप जलेगा
हर आँगन होगा उजियारा,
चेहरों पर होगी खुशहाली,
तब होगी सच्ची दीवाली
होगी तब अच्छी दीवाली।

एक दीप शांति का जलाएं,
एक जलाएं मानवता का
एक दीप प्रगति का जलाएं,
एक जलाएं नैतिकता का
समरसता का पाठ पढ़ें सब,
झूठ कहा क्या मैंने आली ?
तब होगी सच्ची दीवाली,
होगी तब अच्छी दीवाली।

खुशियों की फुलझड़ियां छोड़ें,
मुस्कानों के फूटें अनार
कहकहों के बम-पटाखे,
उमंगों के चलें चक्राकार
सद्गुणों का प्रकाशोत्सव हो,
आलोकित हों रातें काली
तब होगी सच्ची दीवाली,
होगी तब अच्छी दीवाली।

निर्मल मन से दीप जलाएं,
अहंकार को दूर भगाएं
नाश करें हम अंधकार का,
नेह की जगमग जोत जलाएं
रोशन कर दें कोना कोना,
धन-धान्य की हो हरियाली
तब होगी सच्ची दीवाली,
होगी तब अच्छी दीवाली।

भूखे पेट ना कोई सोए,
मान-सम्मान सभी का होए
नेह-सिक्त संवाद हों सारे,
न्यारे हों आदर्श हमारे
मिट्टी के हम दीए जलाएं,
मन से सब खुश बजाएं ताली।
तब होगी सच्ची दीवाली,
होगी तब अच्छी दीवाली॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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