लघुकथाकारों को दोषों से बचना चाहिए, और भरपूर अध्ययन आवश्यक
पटना (बिहार)। आज की लघुकथा व कहानियों की गोष्ठी सार्थक रही। कहानियाँ पहले वाचिक परंपरा में थीं। प्राचीन काल से हम कहानियाँ सुनते आए हैं। बीच में लिखित परम्परा का दौर आया। अब पुनः लिखित के साथ वाचिक का युग लौट आया है। कहानियाँ लिखी भी जा रही हैं और पढ़ी-सुनी भी जा रही हैं। … Read more