भुवनेश दशोत्तर,
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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आओ नववर्ष आओ!
हमें इस बार,
आशा है
कि तुम करोगे वह सब,
जिससे
हर जीवन मधुमय हो,
उसमें लय हो,वह फिर से गतिमय हो।
गाँवों की चौपालों पर,
फिर से
मुलाकातों का प्यारा दौर हो।
नन्हें मियां की गप्पेबाजी पर,
बैठे-ठालों की हँसी का न ठौर हो
और उधर,
पनघट पर गगरी भरती
बतियाती सखियों का शोर हो।
इस बार जब,
माता-पिता की आस बनकर
गाँव से शहर जाएँ बेटे,
तब
उनके ख्वाब टूट न पाएँ,
शहर की सरपट दौड़ती जिंदगी के पहिए…
फिर से कभी रुक न पाएँ।
फिर बागों की सुरभि में,
बच्चों के झूमते झूले हों
वीरान पड़ी,
पाठशालाओं से बालक
नाचते-झूमते घर लौटते हों।
फिर से वही सामने बैठ,
बतियाना हो
रूठना और मनाना हो,
प्रिय के सपने को
संजोना और निभाना हो।
फिर से,
वही अपनों के साथ
बेफिक्र,चाय की चुस्कियाँ हों,
गोल-गप्पों की गिनतियाँ हों
कॉफी हॉउस में,बातों की मस्तियाँ हों।
फिर न कोई सन्नाटा पसरे,
न कोई व्यथित रहे
उस तरह से विदा न हो कोई किसी का,
जैसे बीता साल ले गया था किसी काl
हमेशा की तरह,
तुम्हारे साथ भी
जीतते रहें,
प्रेम,करूणा और शांति के समवेत स्वर
विजयी हों,
आस्था और श्रद्धा की मौन प्रार्थनाएँl
आओ नववर्ष आओ!
तुम्हारा स्वागत हैl
हमें,
तुमसे बहुत आशाएँ हैंll