आकांक्षा चचरा ‘रूपा’
कटक(ओडिशा)
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मिट्टी से जन्मे मिट्टी में मिल जाने का सफर जिंदगी है,
पंच तत्व का दिव्य उपहार,रब की बंदगी करने का जरिया
जिदगी है।
ना साथ लाए,ना ले जाइएगा,
नवजात कोपलें खिलने से वृद्धावस्था की धूप-छाँव
खट्टे-मीठे लम्हों,
क्षण बदलते सुख-दु:ख के पड़ाव को…
माया के पाश को जिंदगी कहते हैं।
जिंदगी समझ कर समझना मुश्किल था,
खुशी,संवेदना,प्यार,नफरत,घुटन से लिपटा रूप मिला
कतरा-कतरा दफनाते अरमानों को,
संघर्ष करना ही जिंदगी है।
कुछ पल मिले,दोस्तों के संग बिताए,
कोई रिश्ता निभाना चाहे या नहीं
वफा करना फितरत हमारी,
आखरी साँस तक सबका भला माँगना
आरजू है।
हँसना-हँसाना,
दिलों में दस्तक देकर वजूद कायम रखना,
तमन्ना है।
हर दिल को घर बनाना यादों का,
इसी का नाम जिंदगी है॥