शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान)
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ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

जल में थल है थल में जल है जल का है संसार बड़ा,
मानव जीवन जल बिन सूना,जल के बल नर आज खड़ा।
जल जीवन है जल से साँसें जल बिन जीना मुश्किल है,
इक पल भी जल नहीं मिले तो मानव होता घायल है।
वही जानता जल की कीमत जिसका फूटा होय घड़ा,
मानव जीवन जल बिन सूना जल के बल नर आज खड़ा…॥
अमृत होता बारिश का जल पीकर स्वस्थ सभी रहते,
बूंद-बूंद जल करो इकट्ठा,लोग सभी तो हैं कहते।
पानी पियो स्वस्थ रहो यदि जल पियोगे नहीं सड़ा,
मानव जीवन जल बिन सूना जल के बल नर आज खड़ा…॥
कोई मोल नहीं उस नर का,आब नहीं जिसके मुख पर,
बिना आब के मोती भी तो रहता नहीं कभी सुख कर,
उतर जाय मानव का पानी मिले न कौड़ी एक दड़ा।
मानव जीवन जल बिन सूना जल के बल नर आज खड़ा…॥
जल है तो ही यह जीवन है सच ही कहते हैं मानो,
अपनी साँसों की कीमत को पहचानो ऐ दीवानों।
कितने हैं वर्चस्व जमाते पानी खातिर लड़ा-लड़ा,
मानव जीवन जल बिन सूना जल के बल नर आज खड़ा…॥
परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है