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डरता हूँ,थर्राता हूँ…

तारकेश कुमार ओझा
खड़गपुर(प. बंगाल )

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‘तालाबंदी’ है,इसलिए आजकल घर पे ही रहता हूँ,
बाल-बच्चों को निहारता हूँ,लेकिन आँखें मिलाने से कतराता हूँ।
डरता हूँ,थर्राता हूँ,
‘तालाबंदी’ है,इसलिए आजकल घर पे ही रहता हूँ॥

बिना किए अपराध बोध से भरे हैं सब,
इस अंधियारी रात की सुबह होगी कब!
मन की किताब पर नफे-नुकसान का हिसाब लगाता हूँ,
‘तालाबंदी’ है,इसलिए आजकल घर पे ही रहता हूँ॥

सामने आई थाली के निवाले किसी तरह हलक से नीचे उतारता हूँ,
डरता हूँ,पर सुनहरे ख्वाब से दिल को भरमाता हूँ।
हालात हैं ऐसे,कभी घबराता हूँ,
‘तालाबंदी’ है,इसलिए आजकल घर पे ही रहता हूँ॥

परिचय-तारकेश कुमार ओझा का नाम खड़गपुर में वरिष्ठ पत्रकार के रुप में जाना जाता है। आपका निवास पश्चिम बंगाल के खड़गपुर स्थित भगवानपुर (जिला पश्चिम मेदिनीपुर) में है। आपकी लेखन विधा अनुभव आधारित लेख,संस्मरण और सामान्य आलेख है।श्री ओझा का जन्म स्थान प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) हैl पश्चिम बंगाल निवासी श्री ओझा की शिक्षा बी.कॉम. हैl कार्यक्षेत्र में आप पत्रकारिता में होकर उप सम्पादक हैंl आपको मटुकधारी सिंह हिंदी पत्रकारिता पुरस्कार तथा श्रीमती लीलादेवी पुरस्कार के साथ ही बेस्ट ब्लॉगर के भी कई सम्मान मिल चुके हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखते हैंl