गलतफहमी

भुवनेश दशोत्तरइंदौर(मध्यप्रदेश)************************************* क्या बुरा है कि,थोड़ा गलतफहमी में ही जिया जाएदूर शहर में बेटा,मनोयोग से पढ़ रहा हैसंस्कारों में ही जी रहा है,यही माना जाए।सब रिश्ते भला ही चाहते हैं,यही सोचा जाएदुनिया में,कहीं नहीं गरल है।सब जैसे दिख रहे,वैसे ही सरल हैंकहीं नहीं मुखौटे हैं,मन के नहीं खोटे हैं।जैसा कहते हैं,वैसे ही आचरण में जीते … Read more