चले जा रहे…
डॉ. उषा किरणमेरठ (उत्तरप्रदेश)******************************************* कुछ रास्ते कहीं भी जाते नहीं हैं,किसी मंजिल तक सफर कुछकभी पहुँचाते नहीं हैं,चल रहे हैं क्यूँकिचल रहे हैं सब,फितरत है चलना…तो चले जा रहे हैं…। जब भी देखा पलट कर,वहीं खड़े थेजबकि सालों-साल,बा-राह हम चलते रहे थेठीक,सफर में जैसे,मीलों साथ दौड़कर भीपीछे छूटे दरख्त,वहीं तो खड़े थेहाँ,उड़ जाते हैं बेशकसहम … Read more