सब दिन नहीं एक समान

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** जीवन की ये रीत तू जान ले इन्सान,दिन सारे होते नहीं यहाँ एक समान। आहट नए की कभी होती ही नहीं,गुजर गए हैं जो कब छोड़े हैं निशान। धूप-छाँव तो आते ही रहेंगे जीवन में,इसीलिए मंजिलें नहीं लगती आसान। अलग-अलग नहीं देखिए ये अंगुलियां,साथ बंधे तो देखिए मुट्ठी में भरे जान। … Read more