हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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वहाँ प्रभाव का आधार है,
धर्म की स्थापना का सार है
जीवन स्पी मझधार में किनारा वही है,
गीता आत्मा की तृप्ति का मार्ग है।
धर्म के संस्कारों में,
गीता के ज्ञान का महत्व है
वह हम सभी के लिए,
आत्मा की तृप्ति का मार्ग है।
समय का आयम है,
कर्म का अटूट फल है
गीता सिर्फ ग्रंथ नहीं बल्कि,
आत्मा की तृप्ति का मार्ग है।
संसार को माया मोह के बंधनों से दूर कर,
ईश्वर की अनुपम भेंट गीता ही है
क्योंकि हर एक चीज ईश्वर तो है,
गीता आत्मा की तृप्ति का मार्ग है।
गीता के ज्ञान को परम सत्य बना कर,
जन-जन में सच्चा ज्ञान प्रस्तुत करें…
यह हमारे लिए सच्चाई का मार्ग है,
गीता आत्मा की तृप्ति का मार्ग है॥
