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उर प्रेम भरो

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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नया उजाला-नए सपने…

उर प्रेम भरो तुम मीठा-मीठा
पिछला सब है रीता-रीता,
तारीख बदल दे वक्त यहां
लगता पिछला झूठा-झूठा।

हर्षित उर बिंदु हो अधीर
प्रफुल्लित तन-मन पाने को,
हो उल्लासित त्याग करो
पिछ्ला जो था टूटा-टूटा।

नव वर्ष स्वागत हो मंगल
बिसरे-बीते आफ़त व दंगल,
होश में आकर शांत रोष हो
उर दूर करें संग रुठा-रुठा।

आओ नव निर्माण करें
उर्जा नवीन आव्हान करें,
अभिमानों में जो टूट गया
वो जोड़ें फिर से टूटा-फूटा।

संकल्पित उर विकल्प धरो,
ताड़ नहीं तुम कल्प बनो।
स्नेह श्रंखलाएं हो अनेक,
फल मिले हर मीठा-मीठा॥

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