हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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आज भरोसा टूट रहा है,
जमाने के इस बदलते रवैये से
घुट-घुट कर जी रहा है इंसान,
किस पर करें भरोसा हम…?
मान नहीं, मर्यादा भी लुप्त हो रही है,
झुठ फरेब चोरी माया पर बड़ा अभिमान है
लेकिन सोच नहीं बदल रहा इंसान,
किस पर करें भरोसा हम…?
तू इतना मत कर घमंड,
हवा में उड़ने वाले परिंदे
उस ऊपर वाले के बही-खाते में सब लिखा जा रहा है,
किस पर करें भरोसा हम…?
बहन-बेटी सुरक्षित नहीं है,
रात-बिरात निकलना मुश्किल।
गिद्ध निगाहें गड़ी हुई है चारों ओर,
किस पर करें भरोसा हम…?