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गौ पूजा पुरुषार्थ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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गोवर्धन पावन दिवस, अन्नकूट हरि भोग।
ब्रजनंदन पूजन विनत, प्रीति भक्ति मन योग॥

गोधन की पूजा करें, करें धेनु श्रंगार।
अहंकार देवेंद्र का, कृष्ण किया संहार॥

गोधन की महिमा बड़ी, देख कुपित गोपाल।
खायी गोधन की शपथ, पूत यशोदा लाल॥

गौ गोबर की अल्पना, रच गोवर्धननाथ।
आंगन पूजन हो विनत, कृपासिंधु हरि साथ॥

बना स्वयं निज हाथ से, माधव छप्पन भोग।
पूजा गोवर्धन शिखर, शुक्ल प्रतिपदा योग॥

बाद दिवस दीपावली, गोवर्धन पर्व विधान।
सनातनी द्वापर प्रथा, गोवर्धन भगवान॥

पावन कार्तिक प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष प्रारंभ।
शारद माधव अर्चना, मिटे मनुज हिय दंभ॥

गोधन अपरा अम्ब जग, ममता करुणागार।
पुण्या पूज्या वत्सला, द्विज भगिनी उपहार॥

सबका है कर्तव्य जग, गो रक्षण सम्मान।
सेवा हो माता समा, मिले विभव सम्मान॥

गोपालक गोपाल प्रभु, कृष्ण गोकुलानन्द।
धन वैभव यश आयु बल,खिले सुखद मकरन्द॥

उठा उंगलि कनिष्ठिका, गोवर्धन हरि हाथ।
इन्द्र कोप वर्षा प्रलय, रक्षित गोकुल नाथ॥

करुणानिधि श्रीकृष्ण ही, करुणामय करुणेश।
करो कृष्ण नटवर भजन, मन मुकुन्द हृषिकेश॥

गौ पूजा पुरुषार्थ का, ध्येय पुण्य परमार्थ।
यह पशुधन रक्षण दिवस, कृष्ण जन्म धर्मार्थ॥

बहिन सहोदर विप्र का, मानक ब्राह्मण मोल।
परमारथ जीवन युगल, गौ द्विज समरस घोल॥

गोधन गोवर्धन युगल, मनुज लोक अभिराम।
हियतल भज भक्ति प्रणय, चारु कृष्ण अविराम॥

भज रे मन गोविन्द को, भज गोवर्धन नाथ।
गोधन गोपालक भजो, बढ़े भलाई हाथ॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

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