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चेतना ही नहीं, प्रेम और श्रृंगार के भी कवि हैं दिनकर

जयंती संग पुस्तक चर्चा…

पटना (बिहार)।

प्रत्येक कवि हृदयवान और संवेदनशील होता है। उसके कोमल हृदय में प्रेम और करुणा का सागर लहराता है। इसीलिए प्रत्येक मौलिक कवि में प्रेम, प्रकृति और श्रृंगार की प्रधानता होती है। समय-समय पर वह ओज और आक्रोश के रूप में भी प्रकट होती है। महान राष्ट्रकवि दिनकर में एक समग्र काव्य-चेतना है। वे ओज और राष्ट्रीयता के कवि तो हैं ही, प्रेम और श्रृंगार के भी कवि हैं।
यह बात राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती पर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में कवि सम्मेलन और देहरादून की कवयित्री रंजीता सिंह फलक की काव्य पुस्तक ‘चुप्पी प्रेम की भाषा है’ पर चर्चा गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि रंजीता जी संवेदनशील कवयित्री हैं। रंजीता सिंह ने अपनी पुस्तक से ५ प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ भी किया तथा कहा कि चुप्पी अपने आप में एक वातार्लाप है। प्रेम में किसी शब्द की आवश्यकता नहीं होती। ये आपकी आँखों से अभिव्यक्त हो जाता है।