बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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दोस्ती से बड़ा अब तराना नहीं।
हाल जैसा भी हो तुम भुलाना नहीं।
जिंदगी कब तलक बीत जाये यहाँ,
याद रखना चलेगा बहाना नहीं।
तुम सुदामा भले मित्र हो कृष्ण-सा,
दुश्मनों की तरह तुम निभाना नहीं।
ये जमाना कभी साथ देते कहाँ,
दोस्ती इसलिए भूल जाना नहीं।
यार यारी निभाना ‘विनायक’ यहाँ,
मायने दोस्ती का जताना नहीं॥