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पुराना ज़माना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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बहुत प्यारा था,पुराना ज़माना,
सब बातें थीं प्यारी,समां था सुहाना।
दद्दा और अम्मा,बाई और कक्का,
चना और चबेना,ज्वार और मक्का।
खेत और खलिहान,होला और भुट्टा,
सदा घूमा करते थे,हम सारे छुट्टा।
नाले और बावड़ी,तालाब और पोखर,
नहाते थे सारे,हम जी भरकर।
मकान थे कच्चे,रिश्ते पर पक्के,
सम्बंधों को कभी भी,लगते न थे धक्के।
घर थे छोटे पर दिल थे बड़े,
धन नहीं,पर सब अमीरी में थे जड़े।
आम और इमली,बाग और बगीचा,
रामू के हल को बैलों ने खींचा।
जुम्मन और अलगू,राधा और रज़िया,
फुल्ला की दुकान पे खाते थे भजिया।
पतंगों की मस्ती,कबड्डी का आलम,
कंचों का खेला,कौंड़ियों का मौसम।
चक्की और चूल्हे,सुंदर पनिहारिन,
फूल खिलते थे क्यारिन-क्यारिन।
गिल्ली-डंडा के जलवे,गोटों की दुनिया,
होली-दीवाली,रँग-पटाखों की महिमा।
हल-बैलगाड़ी,गायें और भैंसे,
नज़ारे थे भैया कैसे-कैसे।
अलाव-चौपालें,आल्हा की तान,
किस्से-कहानी,पीपल का मान।
दादा और दादी,नाना और नानी,
मामा और मौसी,सब बातें सुहानी।
प्रेम,अपनापन,भाईचारा,नहीं घातें,
पुराने ज़माने की बातें,मानो सौगातें।
लकड़ी पगा खाना,स्वाद निराला,
गाँव का मुखिया,गाँव का लाला।
बरफ की चुस्की,बरफ का गोला,
स्कूल के माटसाब,किताबों का झोला।
ना बैर,न लड़ाई,सब इक-दूजे को भाते,
पड़ौसी-पड़ौसी को बेहद सुहाते।
रिश्ता निभाने को हर इक था तत्पर,
तारों को गिनते थे,चढ़कर छत पर।
सचमुच में न्यारा था पुराना ज़माना,
बहुत प्यारा था पुराना ज़माना॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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