भोपाल (मप्र)।
१९ नवम्बर की शाम को भोपाल शहर एक मनभावन कार्यक्रम का साक्षी रहा, ज़ब श्रीमती शैफालिका श्रीवास्तव एवं जीवन साथी हरि प्रकाश श्रीवास्तव की पुस्तकों का विमोचन हुआ। मुख्य अतिथि बाल साहित्य शोध केंद्र के निदेशक महेश सक्सेना ने यह किया और हरिप्रकाश श्रीवास्तव को निखालिस प्रकाश के साथी बताया।
दुष्यंत संग्रहालय का सभागृह तालियों से गूंज उठा, जब श्रीमती श्रीवास्तव की बाल कविताओं की पुस्तक ‘बालतरंग’ और श्री श्रीवास्तव की ‘मौन की गूंज’ का विमोचन श्री सक्सेना ने किया एवं आज की पीढ़ी जो देर तक सोने की आदी है, उनके लिए कविता ‘सुबह बहुत खास है’ सुनाई।
सकल्परणा समूह की संस्थापक अनीता सक्सेना ने विशिष्ट अतिथि के नाते कहा कि मोबाइल के युग में ऐसा साहित्य प्रेमी परिवार देखने को विरले ही मिलता है, जो रचनाएँ लिखने के साथ-साथ बैठकर चर्चा भी करते हैं। ‘मौन की गूँज’ बहुत शानदार पुस्तक है और मुझे विश्वास है कि यह गूँज देर तलक साहित्य के आकाश को गुंजायमान करती रहेगी।
सारस्वत अतिथि डॉ. साधना गगराड़े ने पुस्तक को भारतीय संस्कृति संस्कार का दस्तावेज कहा। अध्यक्षता करते हुए साहित्य अकादमी मप्र के निदेशक डॉ. विकास दवे ने सभागृह की बड़ी उपस्थिति पऱ एक किस्सा सुनाया-एक गाँव के गरीब ने सरपंच से बस इतना कहा कि आपकी बेटी की शादी है आप सम्हाल लेना। और बारात के स्वागत के लिए पूरा गाँव इकट्ठा हो गया था। समीक्षक कवियत्री विनीता राहुरीकर ने इसे बाल साहित्य जगत में एक सशक्त आमद कहा। साहित्यकार और समीक्षक स्नेहलता श्रीवास्तव के अनुसार यह भारतीय संस्कृति की दमदार प्रस्तुति है।
स्वागत वक्तव्य डॉ. मनमोहन प्रकाश श्रीवास्तव ने दिया। सरस्वती वंदना डॉ. रंजना शर्मा ने प्रस्तुत की। कुशल संचालन हर्षित श्रीवास्तव ने किया। मधुलिका सक्सेना द्वारा आभार व्यक्त किया गया।
