बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
******************************************************
जय श्री कृष्ण (भाग-२)…
बरसे हरदम हरि कृपा, मन में अति आनंद।
खो जाऊँ हरि प्रेम में, छोड़ जगत के फंद॥
तन में हरि का वास हो, मन में हो श्री श्याम।
सद् कर्मों की राह में, रहे उसी का नाम॥
गोकुल, मथुरा, द्वारिका, हो वृन्दावन धाम।
कृष्ण चरण रज हैं पड़े, माटी तुझे प्रणाम॥
कर दो प्रभु अपनी कृपा, दर्शन की है चाह।
हो जाये जीवन सफल, मिले मुक्ति की राह॥
ग्वाल बाल ब्रज मंडली, मिलकर शोर मचाय।
ठुमक चलत श्री मोहना, अद्भुत रूप सुहाय॥
काले कजरारे नयन, तन श्यामल घनश्याम।
इनपे मोहित ब्रज सभी, पा करके सुखधाम॥
कैसे उतरूँ पार मैं, भव सागर से नाथ।
एक सहारा आप है, पकड़ो मेरा हाथ॥
आन पड़ा संकट यहाँ, भक्त खड़े हैं द्वार।
कृष्ण सहारा एक तुम, रक्षा का लो भार॥
आप दिए कुरुक्षेत्र में, जो गीता का ज्ञान।
आज सुना दो फिर वही, भटक रहें इंसान॥
भक्ति शक्ति आराधना, करूँ सुबह अरु शाम।
मुझे शरण में लीजिये, शरणागत सुखधाम॥
परिचय- बोधन राम निषादराज की जन्म तारीख १५ फरवरी १९७३ और स्थान खम्हरिया (जिला-बेमेतरा) है। एम.कॉम. तक शिक्षित होकर सम्प्रति से शास. उ.मा.वि. (सिंघनगढ़, छग) में व्याख्याता हैं। आपको स्व.फणीश्वर नाथ रेणू सम्मान (२०१८), सिमगा द्वारा सम्मान पत्र (२०१८), साहित्य तुलसी सम्मान (२०१८), कृति सारस्वत सम्मान (२०१८), हिंदीभाषा डॉट कॉम (म.प्र.) एवं राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान (२०१९) सहित कई सम्मान मिल चुके हैं।
प्रकाशित पुस्तकों के रूप में आपके खाते में हिंदी ग़ज़ल संग्रह ‘यार तेरी क़सम’ (२०१९), ‘मोर छत्तीसगढ़ के माटी’ सहित छत्तीसगढ़ी भजन संग्रह ‘भक्ति के मारग’ ,छत्तीसगढ़ी छंद संग्रह ‘अमृतध्वनि’ (२०२१) एवं छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल संग्रह ‘मया के फूल’ आदि है। वर्तमान में श्री निषादराज का बसेरा जिला-कबीरधाम के सहसपुर लोहारा में है।