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बड़ा ही चंचल हूँ

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’
दौसा(राजस्थान)
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मैं
मन
बड़ा ही
चंचल हूँ
बदल जाना
मेरी आदत है
मौसम की तरह
बदलती है प्रकृति
और मैं पवन के झोंकों
के साथ-साथ जगह
जगह ललचाता
घूमता रहता
हूँ गतिशील
होने से मैं
कभी भी
दु:ख
पा
लेता
हूँ और
कभी सुख
व कभी-कभी
रुक जाता हूँ हाँ
जिस-जिसने मुझे
पहचान लिया और
मुझ पर काबू पा लिया
ज्ञानी होता चला गया
एक बार तो देख
मन का मौसम
बदलना भी
बंद कर
देगा हाँ
देख
तो
सही
‘तूफानी’
कलम से
परिज्ञान को
दिनेश तूफानी
अपनी ही लेखनी
से लिखता है अपने
मन की बात और वह
वीणा पाणी का अज्ञानी
छोटा-सा अबोध-सा
बाल रूपी भक्त
और साहित्य
का सेवक
बालक
रूपी
है।