तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान)
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ये अच्छा है
ये ख़राब है,
ये ऐसा क्यों है ?
ये वैसा क्यों है ?
ये क्या हो रहा है ?
ऐसा होना चाहिए,
ऐसा नहीं होना चाहिए
इसे ऐसा करना चाहिए,
इसे ऐसा नहीं करना चाहिए
ये ऐसा क्यों करता है ?
ये वैसा क्यों करता है ?
ये कहाँ जाता है ?
ये क्यों जाता है ?
कोई मेरी सुनता नहीं
कोई मेरी मानता नहीं,
मेरी तो चलती नहीं
मुझे तो कोई पूछता नहीं,
मुझे कोई समझता नहीं
कैसा ज़माना आ गया ?
अब वो पुराना ज़माना,
कहाँ रहा ?
लोग शायद बदल गए हैं,
परस्थिति सही नहीं है
स्थिति बिगड़ रही है,
सारी ज़िंदगी इंसान
इन्हीं सवालों के,
जवाब ढूंढने की कोशिश में
उलझा रहता है,
खुशी की चाह में
हमेशा दुःखी रहता है।
गर सच में
खुशी चाहते हो तो,
परिस्थिति बदलने की
बजाय अपनी,
मनःस्थिति बदलो॥
परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।