डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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बसंत पंचमी विशेष….

माँ सरस्वती की आराधना,
है माँ शारदे की प्रतिमा की
उच्च स्थापना का,
अभूतपूर्व उन्नत दिन।
अपूर्व आस्था का यह पर्व,
अपूर्व कहलाता है
बसंत पंचमी का नाम,
पूजा-अर्चना का
उत्साहवर्धन का अनुपम-सा,
श्रेष्ठ ज्ञान का
पवित्र गागर से भरपूर,
सौंदर्य वाला दिन।
शुभ कार्य प्रारंभ करने का,
स्वीकार्य है यह शुभ दिन
कला,बुद्धि,गायन-वादन की,
अधिष्ठात्री का कहलाता है
यह पावन उत्तम दिन
विद्यार्थी,लेखक,कलाकार,
खूब करते हैं उपासना
बहुत हृदय से इस दिन।
विद्यार्थी किताबों को,
लेखक क़लम को
कलाकार संगीत उपकरणों को,
माँ शारदे के चरणों पर
रखकर आराधना,
करते हैं इस दिन।
यह पर्व धार्मिक आध्यात्मिक,
वैदिक दृष्टिकोण से
अत्यंत महत्वपूर्ण है,
जनजागृति और नवजागरण
समग्र फैलाने में,
माँ शारदे की स्तुति
जीवन में लाता अच्छा सुकून,
जो दिखाता सगुण है।
माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना,
लम्बी आराधना-साधना को
अर्पित ज्ञान का,
त्योहार कहा जाता है
सबमें नव प्राण व उत्साह से,
स्पर्श कर लेता है
पतझड़ के बाद,
ऋतुराज बसंत का आगमन
रंग-बिरंगे फूलों से आँगन को,
भरपूर प्यार देता है।
माँ शारदे की पूजा अर्चना और,
वन्दना करते हुए
श्रंगार स्वरूप पीले फूलों से,
नमन वन्दन व अभिनन्दन
किया जाता है।
विद्यावादिनी से इस दिन,
लिया भरपूर आशीष जाता है॥
परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।