मुकेश कुमार मोदी
बीकानेर (राजस्थान)
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जीवन को सुरक्षित, सुन्दर और सुखद रूप से जीने योग्य बनाने के लिए सम्बन्धों में सामंजस्य होना अति आवश्यक है। सम्बन्ध ही जीवन की असुरक्षा, नीरसता और एकाकीपन का उन्मूलन करते हैं।
परिवार में संगठित रूप से रहते हुए भी हम अपनी निजी मान्यता अनुरूप अवधारित विचारों के परकोटे से घिरे हुए हैं, जिससे बाहर निकलना हम पसन्द नहीं करते या हमें बाहर निकलना ही नहीं आता। कभी-कभी तो इस परकोटे के किसी झरोखे से बाहर झांकना भी हमें प्रिय नहीं लगता। इसी कारण प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से विचारों की भिन्नता का अच्छा-बुरा प्रभाव हमारे आपसी सम्बन्धों पर पड़ता रहता है।
आपसी सामंजस्य के अभाव में एक-दूसरे से भिन्न और विरोधाभासी विचार ही विवादों को जन्म देकर सम्बन्धों में दरार उत्पन्न करने मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वास्तविकता यह है कि, हमारे मन में ही विवाद उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों का निर्माण करने वाले संकल्प पल्लवित होते रहते हैं।
विवाद का कारण जाने बिना ही हम अक्सर सामने वाले पर दोष मढ़ते हैं। निश्चित रूप से दोनों ही पक्ष झगड़ा करके सम्बन्धों को बिगाड़ने में अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। इसलिए बिगड़े हुए हालात सुधारने के लिए भी दोनों ही पक्षों को पहल की आवश्यकता होती है।
अक्सर हम आपसी मतभेद से आहत और क्रोधित होकर अपना व्यावहारिक स्तर गिराने के साथ-साथ सामने वाले से ही सम्बन्धों को पुनः सद्भावनापूर्ण स्थिति में लाने की आस लगा बैठते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि, हर विवाद समाधान की राह तभी पकड़ता है जब एक पक्ष दूसरे के लिए अच्छा सोचने लगता है, सामंजस्य बिठाने का प्रयास करता है। परिणामस्वरूप दूसरे पक्ष के मन में भी अच्छा सोचने की प्रक्रिया प्रारम्भ होने लगती है। इसलिए विवादों को मिटाकर सम्बन्धों को पुनः सौहार्दपूर्ण और मधुर बनाने के लिए दोनों पक्षों को स्वेच्छा से कदम बढ़ाने को तत्पर रहना चाहिए।
जब एक व्यक्ति दूसरे के प्रति नकारात्मक सोचने लगता है, तभी रिश्ते में दरार आने लगती है। अक्सर हम लोगों के साथ बनावटी ढ़ंग से सम्मानजनक शब्दों का उपयोग करते हुए व्यावहारिकता में आते हैं, किन्तु अर्न्तचेतना के भीतर नकारात्मक और घृणित विचारों का प्रवाह भी चलता है, जिसका सूक्ष्म प्रभाव प्रतिपल मधुर सम्बन्धों की नींव को खोखला करते हुए अनेक झगड़ों को जन्म देने लगता है।
विवाद या झगड़े को ठीक करने के लिए केवल एक ही व्यक्ति की आवश्यकता होती है, जिसकी पहचान हमें भीतर ही करनी होगी। यदि अपनी ही अन्तर्चेतना के भीतर उस व्यक्ति को पहचान लेते हैं तो हम अपने जीवन के प्रत्येक विवाद को सुलझाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इसलिए हमें स्वयं में ही विवादों को सुलझाने वाली व रिश्तों में सामंजस्य बिठाने वाली सकारात्मक सोच विकसित करनी होगी।
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि विवाद को हल करने में किस पक्ष ने कितना योगदान किया है। इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि निकटभूत में दोनों पक्षों ने एक दूसरे को नकारात्मक रूप से कितना आहत किया। जब हम दूसरे व्यक्ति के लिए सकारात्मक और शुद्ध सोचने लगते है, तो हमारे विचारों के स्पन्दन ही सामने वाले की नकारात्मक विचार प्रक्रिया को सकारात्मकता में बदल देते हैं।
एक बार जब विचारों का संशोधन और परिष्करण हो जाता है तो सभी विवाद और टकराव की परिस्थितियाँ समाप्त होने लगती है। इसलिए, अतीत की समस्त बातों से मन को स्वतन्त्र करते हुए शुद्ध और सुन्दर विचारों के आधार पर अपने सभी विवादित रिश्ते ठीक कर उन्हें सकारात्मक उर्जा से प्रगाढ़ बनाने की जिम्मेदारी दिल से उठाएं, क्योंकि
सम्बन्धों में समरसता ही जीवन को खुशनुमा और सद्भावपूर्ण बनाती है।
अपने भीतर सद्भाव, स्नेह, सम्मान के विचार जागृत करते हुए प्रत्येक विवादित रिश्ते का उपचार करें। अपने मन में शुद्ध विचारों की आवृत्ति निरन्तर बढ़ाते जाएं, ताकि सामने वाला व्यक्ति उसके दायरे में आते ही स्वयं में भी शुद्ध विचार जागृत करने लग जाए। सकारात्मक विचारों की निरन्तर वृद्धि और दूसरे पक्ष की भावनाओं को समझने की क्षमता बढ़ाने से ही प्रत्येक सम्बन्ध में सामंजस्य स्थापित करने में सफलता प्राप्त होगी।
परिचय – मुकेश कुमार मोदी का स्थाई निवास बीकानेर में है। १६ दिसम्बर १९७३ को संगरिया (राजस्थान)में जन्मे मुकेश मोदी को हिंदी व अंग्रेजी भाषा क़ा ज्ञान है। कला के राज्य राजस्थान के वासी श्री मोदी की पूर्ण शिक्षा स्नातक(वाणिज्य) है। आप सत्र न्यायालय में प्रस्तुतकार के पद पर कार्यरत होकर कविता लेखन से अपनी भावना अभिव्यक्त करते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-शब्दांचल राजस्थान की आभासी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त करना है। वेबसाइट पर १०० से अधिक कविताएं प्रदर्शित होने पर सम्मान भी मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जीवन मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना है। ब्रह्मकुमारीज से प्राप्त आध्यात्मिक शिक्षा आपकी प्रेरणा है, जबकि विशेषज्ञता-हिन्दी टंकण करना है। आपका जीवन लक्ष्य-समाज में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की जागृति लाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिन्दी एक अतुलनीय, सुमधुर, भावपूर्ण, आध्यात्मिक, सरल और सभ्य भाषा है।’