कुल पृष्ठ दर्शन : 1011

You are currently viewing विनती करते भगवान यही

विनती करते भगवान यही

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

*********************************************

रचनाशिल्प:दुर्मिल सवैया छंद २४ वर्णों में ८ सगणों (।।ऽ) से सुसज्जित होता है,जिसमें १२,१२ वर्णों पर यति का प्रयोग किया जाता है। अन्त सम तुकान्त ललितान्त्यानुप्रास कहा जाता है। इस छन्द को तोटक वृत्त का दुगुना कहा जाता है।
११२ ११२ ११२ ११२,११२ ११२ ११२ ११२

विनती करते भगवान यही,
दु:ख का अब तो अवसान करें।
हर मानव पीड़ित है जग में,
सबकी यह आपद पीर हरें॥
हम आस यही तुमसे करते,
सब मानव ही सुख में विचरें।
फिर स्वस्थ सभी नर हो जग में,
मन में प्रभु का सब ध्यान धरें॥

घनघोर निराश सभी मन में,
हर मानस है अवसाद भरा।
हर मानव पीड़ित है भय से,
अब आज हुई यह शून्य धरा॥
दु:ख मानवता पर आन पड़ा,
हर मानव ही सुख को बिसरा।
इस जीवन में फिर से सुख हो,
यह भाव सभी मन में पसरा॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

Leave a Reply