सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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शिक्षक दिवस विशेष….
शिक्षक ज्ञान का दीप जलाए,
जीवन से गहन-तम मिटाए
विचलित मन धैर्य बढ़ाए,
असत्य से सत्य पथ दिखाए।
दुर्गम से सुगम पथ बनाए,
विश्वास, विश्लेषण सब सिखाए
आत्म सम्मान प्यार सिखाए,
हक, फर्ज, धर्म, कर्म सुझाए।
जीवन जीने कला सिखाए,
भविष्य संवारना सिखाए
चुनौतियाँ, लड़ना सिखाए,
विकट स्थिति, मार्ग दिखाए।
प्राणी मात्र सद्भाव जगाए,
सुन्दर सभ्य इंसान बनाए
जिम्मेदार नागरिक बनाए,
चरित्र निर्माण, निर्मल बनाए।
साहस संयम भक्ति जगाए,
नैतिकता मर्यादा सिखाए
सेवकाई, परहित सिखाए,
अज्ञानी से ज्ञानी बनाए।
ईमान, कर्मठता सिखाए,
मातृभूमि, समर्पण सिखाए
पुनः उठकर चलना सिखाए,
दिव्य-भेद-भेंट, भक्ति जगाए।
प्रेरणा स्रोत दृढ़ बनाए,
संस्कार बीज पौध उगाए
जान प्रतिभा, काबिल बनाए,
परिस्थिति से लड़ना सिखाए।
आओ मना लें ‘शिक्षक दिवस’,
मान बढ़ाएं, आभार जताएं।
शिक्षक, समर्पण नि:स्वार्थ का,
सेवा-सह प्रेम उपहार लाएं॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।