जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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सावन मन भावन है,खुशियों की हवाएं चले,
गीतों की धूम मची,दिलों में कुछ प्यार पले।
घटा छा गई नभ में,बिजलियाँ कड़के-दमके,
झिरमिर गिरती बूंदें,रिमझिम पायल घमके।
चहुँओर सुंदर दृश्य,यकायक ही मन मोहे,
शांत मनोरम प्रकृति,बेहद अनुपम सोहे।
नद नाले निर्झर बहे,धरा तो हो गई गीली,
कुदरत जंचे हरियल सारी,बूटी रंग-रंगीली।
वातावरण सुहाना,सावन ऐसा सुखदाई।
शिवालयों में भीड़ लगी,हर हर गूंज चहुँ छाई॥