हिंदी में न्याय का संघर्ष
मुम्बई (महाराष्ट्र)।
बी.सी.आई. परिवाद पत्र संख्या- १/२०२५ महाधिवक्ता कार्यालय बिहार बनाम इंद्रदेव प्रसाद में पारित अनुशासन समिति के आदेश (२०/८/२०२५) के विरुद्ध अधिवक्ता अधिनियम १९६१ की धारा ३८ के अंतर्गत उसके उत्तरवादी इंद्रदेव प्रसाद ने भारत संघ की राजभाषा हिंदी में अपील तैयार की। इस दाखिला को उच्चतम न्यायालय यह लिखकर ३ बार अस्वीकार किया गया कि उच्चतम न्यायालय भारत की भाषा अंग्रेजी है, जिसे उत्तरवादी इंद्रदेव प्रसाद देश की भाषा हिंदी का अपमान समझकर बार-बार हिंदी विरोधी नियम कानून की आलोचना करते हुए हिंदी में ही आवेदन देते रहे। और अंततः उच्चतम न्यायालय भारत को भारत संघ की राजभाषा हिंदी में तैयार सिविल अपील का दाखिला स्वीकार करना पड़ा, जिसका डायरी नंबर ६४४७५/२०२५ है।
उक्त परिवाद पत्र संख्या १/२०२५ में भी उत्तरवादी इंद्रदेव प्रसाद सिविल प्रक्रिया संहिता का आदेश ७ नियम ११ (घ) सहपठित अधिवक्ता अधिनियम १९६१ की धारा ३५ (३) एवं ३६ (३) के अंतर्गत एक आवेदन भारत संघ की राजभाषा हिंदी में दाखिल किया है, जिसका अंग्रेजी अनुवाद बीसीआई अनुशासन समिति द्वारा इनसे सुनवाई तारीख (१२/११/२०२५) को यह बोल कर माँगी गई कि इस न्यायालय की भाषा अंग्रेजी है। हम हिंदी को रोक नहीं रहे हैं, सिर्फ अपने न्यायालय के नियम के सम्मान में आपसे अंग्रेजी अनुवाद मांग रहे हैं, जिस पर अधिवक्ता प्रसाद ने कहा, ‘सर हम अपने हिंदी आवेदन का अंग्रेज़ी अनुवाद देने से सविनय इनकार करते हैं। हमने कभी व्यावसायिक अवचार नहीं किया है। हमने पटना उच्च न्यायालय में भी अपने हिंदी आवेदन का अंग्रेज़ी अनुवाद देने से इनकार किया है। सर्वोच्च न्यायालय में भी अपने हिंदी आवेदन का अंग्रेज़ी अनुवाद देने से इनकार किया है और अंततः सर्वोच्च न्यायालय मेरे हिंदी आवेदन का अंग्रेज़ी अनुवाद अपने से करने के लिए तैयार हो गया है,’ जिसके परिप्रेक्ष्य में बीसीआई अनुशासन समिति भी बिना इनके हिंदी आवेदन का अंग्रेज़ी अनुवाद लिए हुए ही, इनके आवेदन के गुण-दोष पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गए हैं, जिसे श्री प्रसाद अपने जीवन की बड़ी सफलता समझ रहे हैं। इनके उक्त हिंदी आवेदन के गुण-दोष पर आगे की सुनवाई तारीख (१/१२/२०२५) निश्चित हुई है।
श्री प्रसाद के उपरोक्त साहसिक कार्य के लिए वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुम्बई, अखिल भारतीय भाषा संरक्षण संगठन, दिल्ली, भारतीय भाषा अभियान बिहार प्रदेश, हिंदी सेवा निधि इटावा, हिंदी साहित्य सम्मेलन, बिहार, हिंदी शिक्षा संघ ऑस्ट्रेलिया, अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति से जुड़े हुए लोगों ने उनको बधाई दी है और सफलता की कामना कर रहे हैं।
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुम्बई)
