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अभिनय की पूरी संस्था थे दिलीप कुमार-प्रो. खरे

मंडला(मप्र)।

दिलीप कुमार अभिनय सम्राट थे,अभिनय की पूरी संस्था थे। आने वाले अनेक अभिनेताओं ने उन्हें अपना आदर्श मानकर अपना करियर प्रारम्भ किया,और दिलीप साब से बहुत कुछ सीखा।
यह बात मंडला(मध्यप्रदेश) के सुपरिचित कवि,लेखक प्रो.शरद नारायण खरे ने वक्ता के रूप में कही। अवसर रहा दिवंगत महान कलाकार दिलीप कुमार को आदरांजली देने का। युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में सिद्धेश्वर के संयोजन में दिलीप कुमार अभिनीत कुछ फिल्मी गीत भी प्रस्तुत किया गए। सिद्धेश्वर ने इस अवसर पर ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि,दिलीप कुमार उन महान फिल्मी हस्तियों में हैं,जिन्होंने अपने देश की भाषा हिंदी में बेशुमार सफल फिल्में देकर, विश्व के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है।
इसी आयोजन में ‘सुनो कविता’ के तहत सिद्धेश्वर ने अपनी कविता ‘यह कैसा गणतंत्र’ और दुर्गेश मोहन ने ‘सुन लो भैया विज्ञान प्रगति की राम कहानी,मैं सच कहता हूँ आप सुनें उसे जुबानी’ प्रस्तुत की। अलका मित्तल ने लघुकथा ‘दान’, पुरुषोत्तम दुबे ने ‘जन्म देती है माँ माँ भगवान है माँ के श्री चरण स्वर्ग समान है’ जैसी सारगर्भित कविताओं का पाठ किया। राज प्रिया रानी,डॉ. मेहता नागेंद्र सिंह,मधुरेश नारायण सहित मुकेश कुमार ठाकुर ने भी रचनाएँ पेश की।