संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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आज के दौर में लोग,
खुद में ही सिमटते जा रहे हैं
सराहना की कमी और,
दूसरों को छोटा दिखाने का
चलन-सा बढ़ाते जा रहे हैं।
धर्म, जाति और नस्लभेद के,
मुद्दों ने हमारी इंसानियत को
कहीं खो दिया है
ऐसे माहौल में,
मेरी बस एक ही कोशिश है कि
मैं हर तरफ सकारात्मकता
और खुशियाँ फैला सकूं,
मेरी बस यही दुआ है।
जब भी लोग अपनों को याद करें,
तो उनके चेहरों पर मुस्कान हो
हर किसी को कोई तकलीफ़ ना हो,
सिर्फ खुशियाँ जुड़ी रहें
खुदा से मेरी यही गुजारिश है।
मुस्कान ही वह जादू है,
जो हर मुश्किल को
हल्का बना सकती है,
आइए, हम सब मिलकर
इस दुनिया को थोड़ा और,
बेहतर बनाएं, बिखेरें मुस्कान।
और एक मुस्कान से…
मुस्कान के लिए…॥