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आदिवासी जीवन के संघर्ष का सौंदर्य बिखेरती है अनिता रश्मि की कहानियाँ

पटना (बिहार)।

अनिता रश्मि की कहानी जहां आदिवासी जीवन के संघर्ष, सौंदर्य और साहस की जबरदस्त कहानी है, वहीं स्नेह गोस्वामी की कहानी ‘मेरा कसूर क्या है पापा ?’ मध्ययवर्गीय परिवार की त्रासदी, तनाव और गहन मार्मिक उद्वेलन की बेहतरीन प्रस्तुति है। गार्गी राय की ‘वर्ण भेद’ एक चुस्त लघुकथा है।
यह बात प्रख्यात कथाकार अवधेश प्रीत ने अध्यक्षीय उदबोधन में कही। अवसर बना
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आभासी माध्यम से आयोजित कथा एवं लघुकथा संगोष्ठी का, जिसमें आपने गोष्ठी की भरपूर सराहना की।
कथा एवं लघुकथा संगोष्ठी की मुख्य अतिथि लेखिका अनिता रश्मि ने कहा कि बहुत सफल, अच्छा आयोजन। पढ़ी गई रचनाओं पर अवधेश प्रीत जी की प्रभावी टिप्पणियाँ मार्गदर्शन करती हैं।
गोष्ठी में निर्मला कर्ण ने कहा, कि अवधेश प्रीत जैसे समर्थ साहित्यकार की टिप्पणी सुनकर बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। विशिष्ट अतिथि कथाकार राज बोहरा ने कहा कि कार्यक्रम बेहद अच्छा लगा। आयोजन में पढ़ी गई हर रचना सशक्त थी। प्रभारी ऋचा वर्मा, प्रभारी डॉ. अनुज प्रभात के अतिरिक्त अनिल कुमार, स्नेह गोस्वामी, गार्गी राय और विशेष राज बोहरा आदि ने अवधेश प्रीत की अध्यक्षता में कहानी और लघुकथा का पाठ किया।
संयोजक सिद्धेश्वर ने संचालन के क्रम में अनिता रश्मि की लघुकथा हो या फिर कहानी, वह समयगत सच्चाइयों को अंगीकार करते हुए अपनी प्रभावशाली शैली के साथ ही कम शब्दों में बहुत बड़ी-बड़ी बातें कहने में सक्षम दिख पड़ती है। अनिता रश्मि की पढ़ी गई कहानी में आँचलिक शब्दों का अच्छा उपयोग हुआ।