कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मुंगेर (बिहार)
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सत्य पथ पर तुम चलकर देखो,
अद्भुत सुख को पाओगे
ना ही कभी तुम विचलित होगे,
ना ही तुम पछताओगे।
जलने वाले जलते रहेंगे,
आगे तुम बढ़ जाओगे
जल-जल कर वो सियाह बनेंगे,
तुम शुचिता को पाओगे।
कर लो तुम शुद्ध अंतःकरण को,
अभयदान को पाओगे
चाहे परिस्थिति कैसी भी हो,
कभी नहीं घबराओगे।
करोगे जो तुम मन को वश में,
परम् तत्व को पाओगे।
लेकर हाथ तुम विजय पताका,
आसमान पर छाओगे॥