अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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मत उगलिए जहर, इंसान ही रहिए,
प्रेम से महँगा कुछ नहीं, वही कहिए।
मत भूलिए अपना कोई भी फर्ज़ संसार में,
बदलिए भी, पर बस जमीर जिंदा रखिए।
करो वो-जो सही लगे और हो भी जग में,
वो क्या कहेगा-इसकी फिक्र मत करिए।
छोटी-सी ही तो है यहाँ दुनिया रिश्तों की,
सबसे मिल-जुल कर ही बस मस्त रहिए।
हर जीव-जन्तु से रखो स्नेह का भाव ही,
निभाएं इंसानियत, विषधर मत बनिए॥