गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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जबसे हमने होश संभाला है,
उम्मीदों को ही पाला है
शाम को पापा आएंगें,
खेल-खिलौने लाएंगे।
पूरा दिन इसी इंतजार में निकाला है,
हमने उम्मीदों को ही पाला है…॥
उम्मीद थी पिता को बहुत,
बेटा नाम कमाएगा
मेहनत कर इस दुनिया में,
कुछ तो कर दिखलाएगा।
किन्तु बेगारी ने पिता पर ही बोझ डाला है,
हमने उम्मीदों को ही पाला है…॥
किसी उम्मीद में जिए जा रहे थे,
उम्मीदों के ही रिश्ते निभा रहे थे
प्रियतम ने भी प्रेम,
सम्मान को ही जाना है।
हमने कौन-सा दर्द का रिश्ता निभाया है,
हमने उम्मीदों को ही पाला है…॥
नकारात्मक भाव को छोड़,
सकारात्मक भाव अपनाया है
उम्मीद पर दुनिया कायम है,
उम्मीदों से ही उन्नति पाना है।
आज से अच्छा कल होगा,
इसी उम्मीद में खुद को जलाया है
हमने उम्मीदों को ही पाला है…॥
परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम `गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”