कुल पृष्ठ दर्शन : 258

You are currently viewing उम्रभर जगत में…

उम्रभर जगत में…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

*********************************************

जिंदगी की खातिर (मजदूर दिवस विशेष)…..


उम्रभर जगत में भटकते,
जिन्दगी की खातिर तरसते।
जिन्दगी न मिलती कभी पर,
साँस-साँस जीने को मरते॥

ऐ खुदा बता दे कभी तो,
किस तरह का जीवन दिया है।
देन ये अगर है तेरी तो,
फासला ये क्यूं कर किया है।
एक से तो खुशियाँ न सँभलें,
और एक खुशियों को तरसे॥
उम्रभर जगत में…

जान जोखिमों में रहे पर,
जिन्दगी न छोड़े है जीना।
टूटती न साँस उमर भर,
पी के भी जहर का पसीना।
कौन क्या किसी का करेगा,
ऐ खुदा तेरी राह तकते॥
उम्रभर जगत में…

बात है ये मजदूरियों की,
देख इनकी मजबूरियों को।
भूख से बिलखते हैं बच्चे,
पेट माँगते रोटियों को।
सुन कभी पुकारें भी इनकी,
दानवीर तुझको समझते॥
उम्रभर जगत में…

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।