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कारीगर

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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जिंदगी की खातिर (मजदूर दिवस विशेष)…..

वो हर जिम्मेदारी,
बखूबी निभाता है
सुबह निकलता है,
शाम को घर आता है।

चिलचिलाती धूप में,
वो पत्थर तोड़ता है
पसीने में तर-बतर,
दीवारों को जोड़ता है।

जिंदगी की दौड़-धूप में,
बिल्कुल नहीं घबराता है
परिवार की खातिर,
हर तकलीफ सह जाता है।

बच्चों की हर ख्वाहिश,
दिल से पूरी करता है
पेट पीठ से मिल गया है,
फिर भी नहीं कर्राता है।

स्वयं हुनर का मालिक है,
बस खुद्दारी में जीता है
कड़ी मेहनत करता है।
वो पसीना खूब बहाता है।

जीवन की कठोर डगर पर,
सम्भल-सम्भल कर चलता है।
वो कोई और नहीं कारीगर है,
जो जीवन की तपन झेलता है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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