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एक-दूजे के लिए ही जीना

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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मुस्कानों के फूल खिला कर
नगरी एक बसाई तुमने,
घर-आँगन में बजी बधाई
लिख ली एक कहानी तुमने।

बनी नायिका महि पग रखती
नेह-सुधा रस गान किया,
बजती पायल की रुनझुन ने
जीवन को सुर-ताल दिया।

प्रेम का बिरवा हृदय लगाया
अतुल प्रेम-धन खूब लुटाया,
सच मानों तो साझा जीवन
प्रेम विहीन न किसी को भाया।

सदा समर्पण प्रेम में करना,
एक-दूजे के लिए ही जीना।
रिश्ते सभी निभाना मिल-जुल,
स्नेह, प्रेम, करुणा बरसाना॥