सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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शीतल सुशोभित चन्द्र मस्तक
ललित शोभा धाम है,
आराध्य शिव शंकर उमापति
कोटि-कोटि प्रणाम है।
प्रभु विश्व के रक्षक गले में
सर्प का श्रृंगार है,
पीकर हलाहल गरल हरते
विश्व का सब भार हैं।
जय जयति रामेश्वर महेश्वर
वैद्यनाथ विशाल हैं,
तीन नेत्र त्रिशूलधारी
आप ही महाकाल हैं।
नागेश्वरम् नन्दी सवारी
गहे तेरे चरण हों,
आशुतोष अखण्ड भक्ति
मिले तेरी शरण हों।
भक्ति हो अनुरक्ति हो,
संताप सब मिटते रहें।
ओम नमः शिवाय,
पंचाक्षर सदा भजते रहें॥