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ओ मेरे मन मीत

ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
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कृष्ण जन्मोत्सव विशेष…

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो,
हे प्यारे कान्हा जी
तुम ही मन के मीत हो।

इसी जन्म में,
इन्हीं आँखों से
दर्शन तेरा कर जाऊँ,
तो मेरे जीवन की जीत हो।

तुम ही मेरे पल-पल,
तुम ही दिन नए नित हो
तेरे मुख को रोज निहारूं,
भजनों से तेरे भर जाऊँ
हाथों से अपने मैं,
माखन मिश्री तुम्हें खिलाऊँ
हरदम मैं तुम्हें रिझाऊँ,
ऐसा मेरा हर गीत हो
तुम प्रेम हो…।

सुना है मैंने कान्हा जी,
हर दिन वृंदावन आते हो!
राधा-रानी और गोपियों संग,
नित नए रास रचाते हो
ब्रज की घास बन जाऊँ मैं,
चरण पड़े और तर जाऊँ मैं
ऐसी कोई तो रीत हो,
तुम प्रेम हो,तुम प्रीत हो।
हे प्यारे कान्हा जी,
तुम ही मन के मीत हो…॥