कुमारी ऋतंभरा
मुजफ्फरपुर (बिहार)
************************************************
नारी जागरण की बेला में, हमने कदम बढ़ाया है,
गॉंव-गॉंव, गली-गली की नारियों को जगाने की शपथ उठाई है
मन व्याकुलता से भरा हुआ, मन अब भी दुखदाई है
नि:स्वार्थ भाव से सबको राह दिखाएंगे,
अब हम तो बस यही राह अपनाएंगे
अपना दुःख छिपाकर हमने, सबकी राहें जगाने की ठानी है,
नारी शक्ति तेरे अंदर, हमें बस तुमको ही जगाना है
श्रृद्धा और समर्पण की ये राहें, अब हमने अपनाई हैं।
झांसी वाली रानी हो या दुर्गा माँ, काली हो, प्रीति तो उन्हीं की लगाई है,
अब हमने जन-जन की शक्ति को जगाने की शपथ उठाई है
हे नारी संकल्प यही लो, अब तुझसे ही नवयुग की नव आस बंधी है,
है यही मनोकामना मेरी, मन में विश्वास ले आई है।
युग परिवर्तन की खातिर, हम साथ आपके आए हैं,
अब कहाँ पथ से हमें भय है, मन में नारी जागरण की शपथ जो खाई है
गॉंव-गॉंव,गली-गली नारी शक्ति जगाने की बस शपथ खाई हैं।
आज की नारी बड़ी आत्मविश्वासी, दिखती है सबमें यही परछाई,
स्वर्णिम सुख भी छोड़ देश के लिए नारी ने अब राह अपनाई है
सदा-सदा से जिसको दबाया, वही खुद को अब आगे लायी है,
महान नारियों के पद चिन्हों पर चलकर अपनी किस्मत चमकाई है।
अब हमारा यही उद्देश्य,हर घर की नारियों को जगाएंगे,
उनका जीवन उज्जवल हो, बस यही राह दिखाएंगे॥
