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किसान है जान

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आराम नहीं जानता, है विरुद्ध वह जान।
मेहनत करता प्यार से, पाए उसमें शान॥

श्रम करता भरपूर ही, करे नहीं वह आह।
मिलता हरदम नूर ही, करे काम की चाह॥

महल बनाये गैर के, रहे झोपड़ी नित्य।
बोलो कैसे सुखी रहे, करता है निज कृत्य॥

चिंता उसको पेट की, पूरी कभी न होय।
पेट भरा क्या सेठका, वह भी हरदम रोय॥

पंछी जगने पूर्व ही, जागे श्रमजन दीन।
कर्म संकल्प मंत्र से, समझें अपनी शान॥

नहीं आराम जानता,‌ फिकर सदा ही कर्म।
अपना फर्ज न भूलता, जाने उसका मर्म॥

बच्चों के कल के लिए, करे आज का त्याग।
खुद अभाव में ज़िन्दगी, जीता है वैराग॥

जग दयालु कोई नहीं, करें दीन पर दाह।
अपना काम निकाल ले, पूछे कोई थाह॥

सबका खुद प्रारब्ध है, कोई कितना दौड़।
धारण कर संकल्प से, क्यों कर इच्छा होड़ ?

दिवस गँवाये चैन सुख, नींद गंवाई रात।
बद्ध निरंतर रीत से, जाने कौन बिसात॥

कृषक चाह कर गैर की, सोच न पाए भीख।
मधुर झुका फल पूर्ण हो, परमारथ की सीख॥

सहनशक्ति गर सीखना, जान श्रमिक श्रम भीड़।
नमन श्रमिक है बंधुओं, सत्य जगत तुम रीढ़॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।