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क्यों छोड़ गए ?

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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मेरी सेना के योद्धा (केंद्र- जनरल बिपिन रावत)

मेरी सेना के योद्धा,
सैकड़ों सम्मानों से अलंकृत
भारत माँ को किया है उपकृत,
धीर,वीर,मिलनसार,यशस्वी,
कर्मठ सेनानी,शांत,मनस्वी
मातृभूमि को क्यूं बिलखता छोड़ गए ?
सारे राष्ट्र को तुम सुबकता छोड़ गए।

दे के गए उजाला देश को,
खुद खो गए अंधेरे में
नाज जिस पर हिंद कर रहा,
खो गया ज़हान के मेले में
सेना महानायक तिरंगे को सिसकता छोड़ गए।
सारे राष्ट्र को….

तुम वीरव्रती तुम महारथी,
है देश तुम्हारा महाऋणी
दुश्मन भी तुमसे थर्राता,
तुम महागुणी,सच्चरित्र मणि
धरा का कण-कण महका,महकता छोड़ गए।
सारे राष्ट्र को…

जय गाथा हम लिखें तुम्हारी,
जल थल और आसमां पर
नई तकनीक और नई सोच के,
तुम कीर्तिमान थे इस धरा पर
अब किसके सहारे हमें संभलता छोड़ गए।
सारे राष्ट्र को…

श्रद्धांजलि दे रहे ‘विपिन’ तुम्हें,
हम सभी की आँखें नम हैं
शहरों,गलियों में चर्चे हैं,
जितना गायें यश गान कम है
अपना ना कोई तुम अता-पता छोड़ गए।
तुम गए देशाभिमान,हमें टूटता छोड़ गए,
सारे राष्ट्र को…॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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