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खुशी से जमुना उमड़ पड़ी

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष….

चल दिए गोलोक से, श्रीकृष्ण मुरारी,
पीछे से आ रहीं हैं, उनकी राधा प्यारी
जग में नर-नारी को प्रेम पाठ पढ़ाएंगे,
मनुज की आत्मा में ज्ञान दीप जलाएंगे।

अब अत्यन्त पावन हो गई वसुन्धरा,
जब यशोदा के लाल, जमीं पे पग धरा।
आज खुशी से नदी जमुना उमड़ पड़ी,
नन्द जी के द्वार, संतों की भीड़
उमड़ी।

ढोल, ढाक, मृदंग बाजे, बजती शहनाई,
खुशी से नाच रहे, मिलकर बहन- भाई।
धरती से आकाश तक हुआ जय कारा,
‘आ गए तारणहारा’ का गूंज उठा नारा।

बावरी हो गई यसोदा देख के, लाल को,
काँप गए कंस मामा, देखकर काल को
लाख दुआएं देते हैं नन्द को, सन्तजन,
आज भाव-विभोर है, नन्द जी का मन।

ईश्वर की लीला ना जाने, कृष्ण कौन हैं ?
सभी के तारणहारे, अभी क्यों मौन हैं!
हर घर माताएं-बहनें गाती मँगलाचार,
आज ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का है त्यौहार॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |