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गद्य में प्रथम विजेता हरिहर सिंह चौहान व पद्य में संजय वर्मा ‘दृष्टि’

स्पर्धा…

इंदौर (मप्र)।

मातृभाषा हिन्दी को और लोकप्रिय बनाने के अभियान की दिशा में हिन्दीभाषा डॉट कॉम परिवार सतत स्पर्धा करा रहा है। इसी निमित्त ‘आतंक, विनाश और ज़िंदगी’ (‘पहलगाम हमला’ विशेष- २२ अप्रैल) विषय पर ९८ वीं प्रतियोगिता में गद्य में प्रथम विजेता बनने का मौका हरिहर सिंह चौहान को मिला है, तो पद्य में संजय वर्मा ‘दृष्टि’ प्रथम आए हैं।
परिणाम जारी करते हुए मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने सभी रचनाशिल्पियों को हार्दिक बधाई दी है। श्रीमती जैन ने बताया कि प्राप्त रचनाओं में से श्रेष्ठता अनुरुप निर्णायक मंडल ने गद्य में ‘अब विश्व देखेगा भारत की ताकत’ के लिए श्री चौहान (इन्दौर, मप्र) को प्रथम चुना है। ऐसे ही द्वितीय स्थान ‘आतंक का विनाश ही सुरक्षित ज़िंदगी’ आलेख हेतु डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ (जमशेदपुर, झारखण्ड) एवं ‘आतंक की घाटी में लहूलुहान उम्मीदें’ पर तीसरा स्थान डॉ. मुकेश ‘असीमित’ (गंगापुर सिटी, राजस्थान) को दिया गया है।
आपने बताया कि मंच संयोजक प्रो.डॉ. सोनाली सिंह, मार्गदर्शक डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’ (दिल्ली), परामर्शदाता डॉ. पुनीत द्विवेदी (मप्र), विशिष्ट सहयोगी एच.एस. चाहिल व प्रचार प्रमुख श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता’ (छग) ने सभी विजेताओं एवं सहभागियों को हार्दिक बधाई दी है। श्रीमती जैन ने बताया कि, हिंदी साहित्य अकादमी (मप्र) से अभा नारद मुनि पुरस्कार-सम्मान एवं १ राष्ट्रीय कीर्तिमान प्राप्त १.५५ करोड़ दर्शकों-पाठकों के अपार स्नेह और १० सम्मान पाने वाले इस मंच द्वारा आयोजित इस स्पर्धा में पद्य वर्ग में पहला स्थान ‘कब तक सहेंगे…?’ कविता पर ‘दृष्टि’ (मनावर, मप्र) ने पाया है, तो गोपाल मोहन मिश्र (दरभंगा, बिहार) अपनी रचना ‘खून बहाकर पियोगे सिंधु का पानी ?’ के लिए दूसरे विजेता बनने में सफल रहे हैं। इसी वर्ग में ‘हे! जल-दूत कह दो जा के…’ पर सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’ (जयपुर, राजस्थान) को स्पर्धा का तृतीय विजेता चयनित किया गया है।