हरिद्वार (उत्तराखंड)।
बसंत चौधरी फाउंडेशन (नेपाल) के सौजन्य से ‘अंजुमन फरोगे उर्दू’ (दिल्ली) द्वारा ग़ज़ल कुम्भ का आयोजन हरिद्वार में निष्काम सेवा ट्रस्ट के सभागार में किया गया। लगभग २०० शायरों ने इसमें शानदार पाठ किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि नेपाल के वरिष्ठ कवि-लेखक बसंत चौधरी ने स्वयं के कविता संग्रह ‘वक्त रुकता नहीं’ एवं ग़ज़ल संग्रह ‘ठहरे हुए लम्हें’ सहित मुम्बई में आयोजित ग़ज़ल कुम्भ-२०२४ में पढ़ी गई ग़ज़लों के संकलन का भी विमोचन किया। इसके अतिरिक्त अन्य शायरों व ग़ज़लकारों की पुस्तकों का भी विमोचन किया गया। कुम्भ के ४ सत्रों की अध्यक्षता प्रख्यात शायर अशोक मिजाज बद्र, वरिष्ठ शायर भूपेन्द्र सिंह ‘होश’, वरिष्ठ शायर डॉ. इरशाद अहमद ‘शरर’ और वरिष्ठ शायर अम्बर खरबंदा ने की।
आयोजन में बसन्त चौधरी द्वारा पढ़ी गई ग़ज़ल ‘सामने सबके न बोलेंगे, हमारा क्या है। छुप के तनहाई में रो लेंगे, हमारा क्या है’ ने भरपूर दाद हासिल की, वहीं विज्ञान व्रत ने चिर-परिचित अंदाज में ‘मैं था तनहा एक तरफ, और ज़माना एक तरफ। तू जो मेरा हो जाता, मैं हो जाता एक तरफ।’ ग़ज़ल पढ़कर दिल जीत लिया।सिद्धेश्वर ने ग़ज़ल का पाठ इस प्रकार किया-‘था कुछ कहना क्या करता, होंठ सिला था क्या करता पहुंच ना पाया तुम तक जो, गलत पता था क्या करता ?’ राजवीर सिंह, प्रशांत साहिल और अनेक नवोदित शायरों ने शानदार ग़ज़लें पढ़कर वरिष्ठ शायरों का आशीष प्राप्त किया।
शायर दीक्षित दनकौरी के संयोजन में यहाँ प्रो. डॉ. उषा उपाध्याय, इम्तियाज ‘वफा’ (अध्यक्ष-उर्दू अकादमी, काठमांडू), शैलेन्द्र जैन ‘अप्रिय’, राजद शलभ, कवयित्री डॉ. श्वेता दीप्ति व अध्यक्ष मोईन अख्तर अंसारी ने वरिष्ठ शायर विज्ञान व्रत को ‘ग़ज़ल कुम्भ सम्मान-२०२५’ दिया। मंच संचालन अलका ‘शरर’ और निरुपमा चतुर्वेदी ने किया।