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चलता हूँ

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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चलता हूँ, बस मैं चलता हूँ,
रास्ते हैं बहुत ही मुश्किल
पर कहाँ मैं कभी ठहरता हूँ,
बस मुश्किलों से ही लड़ता हूँ।

चलता हूँ, बस मैं चलता हूँ,
हार न कभी मैं मानता हूँ
पलभर कभी रो लेता हूँ,
फिर उठकर संघर्ष करता हूँ।

रास्ते में मिले कभी धोखे,
कभी किसी ने रास्ते रोके
बस मुस्कुराकर निकलता हूँ,
चलता हूँ, बस मैं चलता हूँ।

नहीं किसी से कोई आशा है,
नही किसी से कुछ निराशा है
बस कर्म पर विश्वास करता हूँ,
चलता हूँ, बस मैं चलता हूँ।

मंजिल को ध्यान में रख,
आगे ही आगे बढ़ता हूँ।
उस तक पहुँचने के लिए,
चलता हूँ, बस मैं चलता हूँ॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।