शकुन्तला बहादुर
कैलिफ़ोर्निया(अमेरिका)
*********************************************************
हिन्द की हिन्दी अमर रहे,जय हिन्द कहो और जय हिन्दी,
भारतमाता के मस्तक की,ये तो है प्यारी सी बिन्दी।
भारतवासी इसे समझते,और बोलते हैं दिन-रात,
माँ की गोद से इसे सीखते,इसमें क्या अचरज की बात।
सहज,सरल है और सुरीली,ये वैज्ञानिक भाषा है,
भारत की राज भाषा है ये,और जन-जन की भाषा है।
सत्साहित्य सुलभ है इसमें,तुलसी,सूर महाकवि हैं,
हैं प्रसाद,हरिऔध,निराला,नीरज भी प्रसिद्ध कवि हैं।
मैथिलीशरण राष्ट्रकवि हैं तो,दिनकर भी तो कम हैं नहीं,
झाँसी रानी को अमर कर गयीं,सुभद्रा,महादेवी हैं यहीं।
आज़ादी की क्रान्ति में जुट गए,विविध भाषाओं के भाषी,
हिन्दी ने था किया संगठित, सभी बने हिन्दी के भाषी।
हिन्दी से मुख नहीं मोड़ना,भारत का स्वाभिमान है ये,
भारत को गौरवान्वित करती,राष्ट्र-भाषा बनेगी ये॥