वंदना जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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नया उजाला-नए सपने…
नव वर्ष आगमन है,
उदासी भगाइए, खुशियों को बुलाइए
सफर पर निकलिए आम
और खुद को खास कर आइए,
‘जरा मुस्कुराइए।’
कुछ समय गुजारिए खुद के साथ,
मन का कुछ आराम ले आइए
दिन की तपन में जलन है तो,
साँझ चाँद झलक पाइए
चाँदनी में करके विश्राम,
ठंडी छाँव का आराम ले आइए।
सुबह होने पर गुलों की रंगत, शोखियाँ,
मस्तियाँ गुंजन मन भ्रमर ले आइए
खिलती कलियों की हँसी,
नयनों में उजली, बिजली-सी चमक ले आइये
‘जरा मुस्कुराइए।’
जो है मन से पास…वो है अपना,
जो दूर है उसे दूर भगाइए
ईश्वर की सौगातों में हो कर संतुष्ट,
दिल अपना हर पल बहलाइए
‘जरा मुस्कुराइए।’
हौंसलों की पतंगें बनाइए,
दृढ़ निश्चय के मांझे में बाँध
स्वतंत्र आसमां में उड़ाइए,
कल की चिंता के अंधकार को
आज के दीप में रोशन कर,
नव वर्ष उत्सव-सा मनाइए
‘थोड़ा तो मुस्कुराइए॥’
परिचय –वंदना जैन की जन्म तारीख ३० जून और जन्म स्थान अजमेर(राजस्थान)है। वर्तमान में जिला ठाणे (मुंबई,महाराष्ट्र)में स्थाई बसेरा है। हिंदी,अंग्रेजी,मराठी तथा राजस्थानी भाषा का भी ज्ञान रखने वाली वंदना जैन की शिक्षा द्वि एम.ए. (राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन)है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक होकर सामाजिक गतिविधि बतौर सामाजिक मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत व लेख है। काव्य संग्रह ‘कलम वंदन’ प्रकाशित हुआ है तो कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होना जारी है। पुनीत साहित्य भास्कर सम्मान और पुनीत शब्द सुमन सम्मान से सम्मानित वंदना जैन ब्लॉग पर भी अपनी बात रखती हैं। इनकी उपलब्धि-संग्रह ‘कलम वंदन’ है तो लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा वआत्म संतुष्टि है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नागार्जुन व प्रेरणापुंज कुमार विश्वास हैं। इनकी विशेषज्ञता-श्रृंगार व सामाजिक विषय पर लेखन की है। जीवन लक्ष्य-साहित्य के क्षेत्र में उत्तम स्थान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘मुझे अपने देश और हिंदी भाषा पर अत्यधिक गर्व है।’