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जाते-जाते ये वर्ष…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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नए संकल्प, नयी आशाएँ और नया सवेरा…

जाते-जाते ये वर्ष,
हमें बहुत कुछ दे गया…
सुनहरे बचपन की सौगातें,
अच्छे दिन, मीठी यादें
पुरानी पड़ी ढेर-सी बातें।

जाते-जाते ये वर्ष,
हमें बहुत कुछ सिखा गया…
अपनों का साथ हमेशा बनाए रखना,
प्रेम-सदभाव की माला पिरोकर जपना
नकारात्मक विचारों से दूर ही रहना।

जाते-जाते ये वर्ष,
हमें प्रेरित करके गया…
सुस्वास्थ्य होकर जीना, खुद का ध्यान
आकाश चुंबी आशाओं को छूना,
दूसरों के लिए सेवा भाव रखना।

जाते-जाते ये वर्ष,
हमें कुछ बोल गया…
अनुभव करो प्रकृति के,
अनमोल धन को, हर कृति को,
समझो और उसकी रक्षा करो।

जाते-जाते ये वर्ष,
हम सब पर ढेरों…
खुशियाँ बरसा गया,
रंग-बिरंगे फूलों की तरह अपनी
खूबसूरत छठा बिखेरता गया।

जाते-जाते ये वर्ष,
मेरे कानों में ये धीरे से कह के गया…
लंबी है डगर, मीलों का सफर।
चलना संभलकर, बाधाएं हैं अपार,
पूरे करने हैं वादे, मजबूत हों इरादे॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।